Total Pageviews

My Blog List

Wednesday, October 21, 2015

नौकरी का दर्द


तुम नौकरी में थे
तुम्हारी व्यस्तता छीन लेती थी
मेरे हिस्से का वक्त
देर रात लौटते ही
नींद का खुमार तुम पर छा जाता था
नहीं करना चाहते थे बात
तुम नहीं सुनते थे मुझे
हरारत में तुम, तुम नहीं रहते
उस वक्त मेरे हिस्से में आता था
तुम्हारा गुस्सा, तुम्हारी झल्लाहट
पूरे दिन घर में बंद रहने के बाद 
मैं चाहती थी खुद को तुमसे बांटना
अपनी बेरोजगारी का दर्द
इस समाज के प्रति
अपनी खीझ और झल्लाहट भी
लेकिन सबकुछ खुद में समेटे
मुझे चुप्प रहना था
क्योंकि तुम नौकरी में थे
तुम्हारी नींद ज्यादा जरूरी थी
तुम्हारी थकान ज्यादा महत्वपूर्ण थी
........................................................................

अब तुम नौकरी में नहीं हो
खफा हो समाज से
लानत भेजते हो नाकाबिल-ए-बर्दाश्त लोगों को
तुम्हें सारी चीजों पर गुस्सा आता है
मेरी बातें तुम्हें खफा कर देती हैं
सबकुछ तोड़ देने और नष्ट कर देने की हद तक गुस्सा
तुम दुनिया को तबाह कर देना चाहते हो
जिंदगी को बेमानी बताते हो
और जला देना चाहते हो सबकुछ
जो कभी नहीं जलता
लेकिन हमारे बीच लगातार कुछ राख हो रहा है
मैं फिर चाहती हूँ, खुद को तुमसे बांटना
लेकिन अब तुम नौकरी में नहीं हो
तो तुम्हारा गुस्सा जायज है
तुम्हारा दुःख बड़ा है
और तुम्हारा दर्द सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण

11 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 23 अक्टूबर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया यशोदा जी।
      माफ कीजिएगा, विषम परिस्थितियों के कारण नहीं पहुंच सकी।

      Delete
  2. दोनों कविता का
    महत्व ....
    अलग-अलग
    पर दर्द तो है....
    कृपया कविता का शीर्षक लिख दिया करेंं
    सादर

    ReplyDelete
  3. bahut sunder dhang se vyatha bayan ki hai ....insaan zindagi dhoondta rehta hai jeeta nahin

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर, हर स्त्री इससे स्वयं को जोड़ सकती है

    ReplyDelete
  5. शाब्बास बढ़िया लिख रहे हो तुम

    ReplyDelete
  6. आप बहुत अच्छा लिखते हो Seet जी बहुत खूब 👏👏👏 और आपकी हिंदी भी बहुत अच्छी बिल्कुल शुद्ध👌👌

    ReplyDelete
  7. बहुत खूब लिखा है, स्त्री जीवन की एक आम परेशानी को बखूबी कलमबद्ध किया है

    ReplyDelete
  8. बहुत ही सुन्‍दर तरीके से विवाहित स्‍त्री की अवस्‍था को शब्‍दों में पिरोया गया है ऐसे ही लिखते रहिए।

    ReplyDelete
  9. बहुत ही सुन्‍दर तरीके से विवाहित स्‍त्री की अवस्‍था को शब्‍दों में पिरोया गया है ऐसे ही लिखते रहिए।

    ReplyDelete